Maldives News: मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारत का बहुत बड़ा योगदान है। भारत ने हर बार मालदीव की सहायता की है। और कई चीजों को लेकर मालदीव पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। अगर अब भारत मालदीव को ठुकराता है तो वहां की इकोनॉमी पूरी तरह से बिखर सकती है।
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श्रीलंका, पाकिस्तान के बाद क्या अब मालदीव भी चीन का नया शिकार बनने वाला है। क्योंकि मालदीव के राष्ट्रपति भारत से अनबन के बीच चीन पहुंचे और कहा कि हमारा यह ‘भरोसेमंद सहयोगी’ है। लेकिन यह प्रेम मालदीव को कंगाल होने के राह पर ले जा रहा है। श्रीलंका और पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर बर्बाद करने में चीन का बड़ा हाथ है। दोनों देश ‘चीन कर्ज जाल’ में फंस चुके हैं, और अब उसी राह पर मालदीव भी दिखाई दे रहा है।
मालदीव भारत का एक भरोसेमंद पड़ोसी देश है, लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लक्ष्यद्वीप की यात्रा पर मालदीव के मंत्रियों ने टिप्पणी की है, इससे नुकसान मालदीव का ही होगा। क्योंकि मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारत का बहुत बड़ा योगदान है और कई चीजों को लेकर तो मालदीव पूरी तरह से भारत पर ही निर्भर है। लेकिन मालदीव में चीन समर्थित सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ उनके रिश्तों में काफी तनाव सा आ गया है।
भारत ने हर बार दिया मालदीव का साथ
भारत ने मालदीव पर किसी भी प्रकार की मुसीबत आने पर हर बार साथ दिया है। चाहे वह आर्थिक स्थिति हो या फिर कोरोना महामारी। कोरोना महामारी के समय भारत ने मालदीव को एक लाख वैक्सीन फ्री में दी थी और उससे पहले मालदीव में एक बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया था। जब भी भारत ने 30,000 वैक्सीन मालदीव को फ्री में दी थी। और अब कुछ ही समय पहले भारत ने मालदीव को 400 करोड रुपए की आर्थिक सहायता देने के लिए भी कहा था। इस प्रकार मालदीव पर भारत के बहुत एहसान है, जो की मालदीव को अब दिखाई नहीं दे रहे हैं।
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बिखर जाएगी मालदीव की इकोनॉमी
मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म (पर्यटन) पर ही डिपेंड करती है। वहां की जीडीपी का लगभग 28% हिस्सा पर्यटन का है।। जबकि फॉरेन एक्सचेंज में भी लगभग 60% योगदान टूरिज्म सेक्टर का है। ऐसे में अगर भारत मुंह फेर लेता है तो मालदीव को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। और आपको बता दे कि भारत से हर साल लगभग एक लाख लोग मालदीव घूमने जाते हैं।
मालदीव और भारत के बीच पिछले वर्ष 500 मिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार हुआ था। इस वर्ष भी यह लगातार बढ़ ही रहा है। भारत और मालदीव के बीच तीन दशक पहले ट्रेड एग्रीमेंट हुआ था। इस एग्रीमेंट के तहत मालदीव भारत से उन वस्तुओं का आयात करता है, जो दूसरे देशों को निर्यात नहीं होता है। इसके अलावा मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भी भारत का पैसा लगा है। साल 2023 में भारत ने मालदीप से जहां 41.02 करोड डॉलर का निर्यात किया था। वहीं 61.9 लाख डॉलर का आयात किया था। 2022 में निर्यात का आंकड़ा 49.54 करोड़ था, जबकि आयात का आंकड़ा 61.9 डॉलर था।
सबसे ज्यादा भारतीय टूरिस्ट पहुंचते हैं मालदीव
आज की तारीख में भारतीयों के लिए मालदीव एक बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट है। साल 2023 में भारत से 2,09,198 लोग मालदीव घूमने गए थे। अगर भारत के लोग यहां जाना बंद कर दे तो फिर मालदीव के लिए आर्थिक संकट और गहरा हो सकता है। इससे पहले साल 2022 में 2.41 लाख, 2021 में 2.91 लाख और 2020 यह कोरोना महामारी के दौरान भी 63000 भारतीय मालदीव घूमने के लिए गए थे।
दिसंबर 2023 तक मालदीव पर कुल 17 लाख 57 हजार 939 टूरिस्ट आए थे। इनमें से सबसे ज्यादा टूरिस्ट की संख्या भारतीयों की थी। भारतीयों के बाद सबसे ज्यादा रूस और चीन के लोग मालदीव पहुंचे थे। ऐसे में मालदीव के लिए पर्यटन उद्योग बेहद जरूरी है। साल 2021 में इस द्वीप को पर्यटन से लगभग 3.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रेवेन्यू मिला था। साल 2021 के डेटा के अनुसार इस साल भारत मालदीव के तीसरे सबसे बड़े व्यापार भागीदार के रूप में उभरा था। मालदीप का मुख्य आय का जरिया टूरिज्म है, वहां कोई भारत के जैसा टैक्स सिस्टम नहीं है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से मालदीव है छोटा-सा
हिंद महासागर के द्वीप पर स्थित मालदीव की आबादी में 98% मुस्लिम लोग हैं। बाकी दो प्रतिशत अन्य धर्म के लोग हैं। यहां की कुल आबादी लगभग 5 लाख है। मालदीप करीब 1200 द्वीपों का एक समूह है। ज्यादातर द्वीपों में कोई नहीं रहता है। मालदीव का क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमीटर है। यानी आकार में दिल्ली का पांचवा हिस्सा है।