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  • ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है पूरी जानकारी- what is the Option Trading in hindi

    ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है पूरी जानकारी- what is the Option Trading in hindi

    Option Trading: शेयर मार्किट में ऑप्शन ट्रेडिंग पैसे डबल करने वाली स्ट्रेटेजी है। इसमें लॉस और प्रॉफिट बहुत तेजी से होता है ,एक ही दिन में ये शेयर 200% तक ऊपर या निचे आ सकते है इसे ऑप्शन ट्रेडिंग कहते है। 

    ऑप्शन ट्रेडिंग सीखने के लिए पहले हमे इसके बारे में अच्छी तरह से जान लेना बहुत जरुरी है। हमारा मकसद इस लेख के जरिये आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में समझाना है। 

    इसमें चार तरह के विकल्प होते है।

    1.कॉल खरीदना 

    2. पुट खरीदना 

    3. कॉल बेचना 

    4. पुट  बेचना 

    कॉल खरीदना :

    कॉल हम तब खरीदते है जब मार्किट के ऊपर जाने के चांस होते है क्योकि जब मार्किट ऊपर जाती है तो कॉल के रेट बढ़ते है तो हमे फायदा होता है। 

    पुट खरीदना :

    पुट के रेट तब बढ़ते है जब मार्किट निचे जाती है और हमे फायदा होता है। 

    कॉल बेचना :

    इसे SHORT SELLING भी कहते है, जिसमे हम कुछ खरीदने से पहले यह शेयर बेच सकते है। जब मार्किट निचे आती है तो कॉल के प्राइस टूट जाते है। प्राइस टूटने के बाद हम इन्हे कम रेट में खरीद लेते है। मतलब हमने महंगे रेट में बेचा था और कम रेट में खरीद रहे है तो हमे फायदा होता है। 

    पुट बेचना :  

    इसमें हम पुट ऑप्शन पहले बेचते है ,जब मार्किट ऊपर जाती है तो पुट की कीमत टूट जाती है। प्राइस कम होने पर हम इन्हे खरीद लेते है। मतलब हमने पुट ऑप्शन महंगे रेट में बेचा और सस्ते रेट में खरीद लिया इससे हमे फायदा होता है।

    स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट  

    स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट -इनमे एक अहम् चीज होती है। ज्यादातर कम्पनी की एक्सपायरी डेट हर महीने के आखिरी गुरुवार को होती है। निफ़्टी ,बैंक निफ्टी ,इनकी ऑप्शन एक्सपायरी हर गुरुवार को होती है और फिन निफ़्टी की एक्सपायरी हर मंगलवार को होती है इनमे अगर अवकाश का दिन हो तो एक्सपायरी उससे पहले दिन हो जाती है। 

    अब हम समझेंगे की स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी अहम् क्यों है ? क्यों की कॉल और पुट के शेयर इन्ही के आधार पर ट्रेड करते है। 

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    स्ट्राइक प्राइस :

    स्ट्राइक प्राइस उसे कहते है जिस प्राइस पर निफ़्टी या किसी भी कम्पनी का शेयर ट्रेडिंग कर रहा है ,या जिस लेवल पर मार्किट या शेयर चल रहा है। स्ट्राइक प्राइस के नजदीक के कॉल और पुट  के शेयर बहुत ही जल्दी ऊपर या निचे होते है। 

    ये शेयर जितने स्ट्राइक प्राइस से दूर होते जायेंगे इनकी कीमत कम या ज्यादा होने की स्पीड धीरे होती जाएगी मतलब ये शेयर स्ट्राइक प्राइस के नजदीक के शेयर के मुकाबले बहुत धीरे -धीरे ऊपर या निचे होंगे। 

    एक्सपायरी:

    एक्सपायरी वो दिन होता है जिसमे अगर सही ऑप्शन लिए जाये तो प्रॉफिट 0 से HERO बन जाता है ,इसमें भी दो विकल्प होते है ,पहला होता है जो ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस के अंदर आ जाये उसे INTHE MONEY कहते है ,और जो ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस से बाहर रह जाये वो OUT OF MONEY मतलब 0 हो जाता है। 

    उदाहरण के तौर पर एक स्टॉक 500 रूपये के प्राइस पर ट्रेड कर रहा है,और हम उसका कॉल ऑप्शन 505 की स्ट्राइक प्राइस पर BUY करते है अगर वह स्टॉक 505 रुपये या उससे ऊपर जाता है तो हमारा कॉल ऑप्शन IN THE MONEY होगा मतलब उसकी कीमत 0 नहीं होती ,और वो स्टॉक 505 रुपये से जितना ऊपर जाता जायेगा हमारे कॉल ऑप्शन की कीमत उतनी ही बढ़ती जाएगी और अगर वह स्टॉक एक्सपायरी डे एन्ड पर 504 रूपये पर भी रुक गया तो हमारा वही कॉल ऑप्शन 0 हो जायेगा भले ही हमने वो ऑप्शन कितना भी महंगा क्यों न खरीदा हो। 

    अगर हम पुट ऑप्शन खरीदते है तो मान लो स्टॉक 500 रूपये के प्राइस पर ट्रैड कर रहा है और हम 495 के स्ट्राइक प्राइस पर पुट ऑप्शन खरीदते है अगर डे एन्ड तक स्टॉक की कीमत 495 या उससे निचे रुकती है तो हमारा पुट ऑप्शन 0 नहीं होगा मतलब IN THE MONEY होगा ,और वह स्टॉक 495 से जितना ज्यादा निचे जायेगा हमारे पुट ऑप्शन की कीमत उतनी ही बढ़ती जाएगी, लेकिन अगर वह स्टॉक एक्सपायरी डे एन्ड पर 495 से एक रुपया भी ऊपर रुक गया तो हमारा ऑप्शन 0 हो जायेगा। निफ़्टी 50 ,बैंक निफ़्टी और फिन निफ़्टी इन सब मे भी यही फार्मूला होता है ,जिस पॉइंट पर यह ट्रैड कर रहे होते है उसे स्ट्राइक प्राइस कहते है।  

    ऑप्शन के प्राइज घटने के क्या -क्या कारण होते है 

     Option Trading kya hai

    ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन की कीमत बढ़ने के जितने कारण होते है ,उससे कई गुना ज्यादा घटने के कारण होते है। 

    1. अगर इंडेक्स (निफ्टी 50 ,बैंक निफ्टी ,फिन निफ्टी ) या वो स्टॉक जिसमे हम ऑप्शन ट्रेडिंग कर  रहे है ,हमारे अंदाजे से विपरीत चला जाये मतलब हमने पुट  BUY किया है और निफ़्टी ऊपर चली जाये तो पुट ऑप्शन की कीमत गिर जाएगी इसी तरह अगर हमने कॉल ऑप्शन लिया है और निफ्टी निचे आने लग जाये तो कॉल ऑप्शन की कीमत गिर जाएगी 
    2. अगर इंडेक्स या स्टॉक हमारे अंदाजे से विपरीत चला जाये और कुछ देर बाद वापस उसी लेवल पर आये तो भी ऑप्शन की कीमत जितनी निचे गिरती है उतनी वापस ऊपर नहीं आती है। सरल भाषा में समझा जाये मान लो निफ्टी 17000 पर ट्रेड कर रही है और हम कॉल ऑप्शन 100 रूपये प्रति शेयर का LOT BUY करते है, उसी समय निफ्टी डाउन आनी शुरू हो जाती है। 
     
    कॉल ऑप्शन की कीमत भी गिरने लग जाती है। निफ्टी 16900 पर ब्रेक करती है मन लो कॉल ऑप्शन की कीमत 60 रूपये पर ब्रेक करती है अब यहां से निफ्टी मूव MOVE करती है वापिस 17000 पर आती है तो कॉल ऑप्शन की कीमत वापिस 100 रूपये नहीं होती है।स्ट्राइक प्राइस के दूर या नजदीक के ऑप्शन पर अलग अलग असर होता है। 
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     यह इस बात पर निर्भर करता है की निफ्टी डाउन जाकर वापिस उसी लेवल में आने में कितना समय लेती है ,जितना ज्यादा समय उसे अपने लेवल में आने में लगेगा ऑप्शन की कीमत उतनी ही ज्यादा गिरेगी। इसमें सबसे बड़ा फेक्टर है TIME DECAY  मतलब एक्सपायरी का नजदीक आना।  
    3. जब मार्किट SIDEWAY होती है तो भी ऑप्शन की कीमत निचे गिरती है ,SIDEWAY का मतलब होता है निफ़्टी या कोई भी स्टॉक थोड़ा सा ऊपर फिर थोड़ा सा निचे ,बैंक निफ़्टी में 10 से 20 पॉइंट कभी ऊपर कभी निचे ,हम सोचते है मार्किट लगभग एक लेवल में ट्रेड  कर रही है न ऊपर गई  है न निचे आयी है, फिर ऑप्शन की कीमत क्यों गिर रही है इसमें भी वही फेक्टर है TIME DECAY मतलब एक्सपायरी का नजदीक आना। 
     
    4.अगर मार्किट हमारे ऑप्शन के अनुसार पॉज़िटिव चल रही है तो भी ऑप्शन की कीमत गिरने के चांस रहते है ,उदाहरण के तौर पर मार्किट इंडेक्स निफ़्टी 50 इस समय 17000 से   मूव यानि ऊपर जा रही है लेकिन उसकी स्पीड बहुत स्लो है,और हम कॉल ऑप्शन 17100 का लेते है अगर दूर की एक्सपायरी है तो कॉल ऑप्शन स्लो स्पीड में ऊपर जायेंगे ,जैसे -जैसे एक्सपायरी नजदीक आती जाएगी कॉल ऑप्शन की ऊपर जाने की स्पीड काम होती जाएगी और फिर मार्किट तो ऊपर जा रही होगी लेकिन ऑप्शन की कीमत एक ही लेवल पर रुक जाएगी क्यों की मार्किट कॉल ऑप्शन को जितना ऊपर ले जाएगी ,एक्सपायरी डेट कॉल ऑप्शन की  कीमत उतनी ही कम  करती जाएगी। 
     
    इस तरह अगर हमारा कॉल ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस से थोड़ा सा भी दूर होता है और एक्सपायरी का दिन है तो कॉल ऑप्शन की कीमत गिरनी शुरू हो जाएगी ,तो हमें लगता है की मार्किट तो मूव कर रही है लेकिन फिर भी कॉल ऑप्शन की कीमत कम क्यों हो रही है ,इसका कारण  ये है की जब एक्सपायरी डेट दूर थी तब ऐसा लगता था की मार्किट की स्पीड बढ़ सकती है और स्ट्राइक प्राइस कॉल ऑप्शन 17100 को क्रॉस कर सकती है। 
    लेकिन मार्किट की स्पीड इतनी स्लो है और एक्सपायरी का टाइम बहुत कम  रह गया है,इतने कम टाइम में 17100 को क्रॉस करना बहुत मुश्किल है,अगर इंडेक्स 17099 पर भी एक्सपायरी का डे एन्ड हो जाता है तो वह कॉल ऑप्शन out of money  हो जायेगा मतलब  इंडेक्स 99 पॉइंट मूव करने बाद भी हमारा कॉल ऑप्शन 0 हो जाता है। same यही समीकरण पुट ऑप्शन में बन जाता  है जब इंडेक्स slow mode में निचे गिरती है।   

    ऑप्शन के प्राइज बढ़ने के क्या -क्या कारण होते है 

    ऑप्शन ट्रेडिंग में जिस तरह प्रॉफिट तेजी से होता है ,उसी तरह लॉस भी बहुत तेजी से हो जाता है। इसलिए हमे यह जानना बहुत जरूरी है की ऑप्शन के प्राइज बढ़ने करे क्या -क्या कारण होते है। 
     
    उदाहरण के तौर पर निफ़्टी ,बैंक निफ़्टी ,फिन निफ़्टी  या कोई स्टॉक जिसमे हम ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे है ,वह स्टॉक तेजी से ऊपर जाता है ,और वो कॉल ऑप्शन जो स्ट्राइक प्राइस के नजदीक होते है उनके प्राइस भी तेजी से बढ़ते है ,जैसे -जैसे  कॉल ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस से दूर होते जाते है तो उनकी कीमत भी धीरे -धीरे बढ़ती है। और जो कॉल ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस से काफी दूर होते है उनकी कीमत पर भी कुछ खास असर नहीं पड़ता है। बल्कि अगर एक्सपायरी नजदीक आ रही हो तो INDEX या स्टॉक ऊपर जाने के बावजूद भी OUT  OF MONEY  CALL कॉल ऑप्शन के प्राइज गिरने लग जाते है। 
     
    इसी तरह निफ़्टी ,बैंक निफ़्टी ,फिन निफ़्टी INDEX या स्टॉक एक दम तेजी से निचे आते है तो यही समीकरण पुट ऑप्शन में बन जाता है। ऑप्शन की कीमत बढ़ने के मुख्य दो ही कारण होते है अगर एक्सपायरी दूर की है तो INDEX या STOCK धीरे -धीरे  मूव करते है तो ही कॉल ऑप्शन की कीमत बढ़ती है। 
     
    लेकिन अगर एक्सपायरी नजदीक है तो STOCK तेजी से MOVE करता है तो ही कॉल ऑप्शन की कीमत बढ़ती है। एक बात ध्यान रखने योग्य है की अगर एक्सपायरी दूर की है तो स्ट्राइक प्राइस से दूर के OUT -OF -MONEY  कॉल ऑप्शन है ,उन पर भी पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। जैसे -जैसे एक्सपायरी नजदीक आती है स्ट्राइक प्राइज के दूर के ऑप्शन स्थिर हो जाते है और एक्सपायरी वाले दिन दूर के out -of -money option पर नेगेटिव प्रभाव पड़ने लगता है। 
     
    मतलब चाहे मार्किट UP  जा रही हो चाहे DOWN जा रही हो ,स्ट्राइक प्राइस से दूर आउट ऑफ़ मनी के कॉल और पुट दोनों ऑप्शन की कीमत गिरने लग जाती है। सिर्फ स्ट्राइक प्राइज के नजदीक के ऑप्शन पर ही UP या DOWN का पॉजिटिव असर होता है।  

     

    Option Trading में ऑप्शन buy करने के profit और Loss 

    ऑप्शन को Buy करने में सबसे खास बात यह होती है की इसमें 0 से hero बनने के चांस होते है। एक्सपायरी वाले दिन या उससे एक दिन पहले हम 1000 रूपये से भी कम रूपये में हम ट्रेडिंग कर सकते है। इसमें अगर हमारा loss होता है तो जितने रूपये हम लगाते है ,उतने ही पैसो का हमे loss  होता है। और अगर प्रॉफिट होता है तो कई गुना हो जाता है। इसलिए ज्यादातर लोग ऑप्शन buy करने में दिलचश्पी रखते है। लेकिन प्रॉफिट वही लोग निकलते है,जो ऑप्शन ट्रेडिंग के सभी नियम ध्यान में रखकर ट्रेड लेते है। 
     
    हम आपको कुछ बाते ऐसी यहां पर बता रहे है जिनको अगर आप ध्यान में रखकर ट्रेड करते है तो आप प्रॉफिट भी प्रॉफिट निकाल सकते है। 

     

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    1. हमारी इस साईट पर दिए गए ऑप्शन ट्रेडिंग लेख को पूरी तरह ध्यान से पढ़े समझे ,और हर रोज हर रोज सभी न्यूज़ को अच्छी तरह से पढ़े ,क्योंकि जिस कम्पनी के फेवर में न्यूज़ आएगी उस कम्पनी के शेयरों की कीमत बढ़ने के चांस हो जाते है। निफ्टी 50 ,बैंक निफ़्टी ,फिन निफ़्टी इनमे जो कम्पनी हैऔर उनके फ़ेवर में जो न्यूज़ आती है उनसे इनके शेयर प्राइज बढ़ सकते है। जब इनके शेयर बढ़ते है तो इंडेक्स के point भी बढ़ते है ,और इसी के आधार पर कॉल ऑप्शन के प्राइज भी बढ़ते है। 
     
    2. जब किसी कम्पनी के परफॉर्मेंस में गिरावट दर्ज की जाती है ,या सरकार कोई ऐसा नियम लागु कर  दे।  जिससे उन कम्पनी का अपने business में प्रॉफिट कमाना मुश्किल हो जाये ,या कोई टेक्स लागु कर दे, तो इन कम्पनी के शेयरों की कीमत निचे गिरने के चांस हो जाते है। और ऑप्शन ट्रेडिंग में पुट  ऑप्शन की कीमत बढ़ने के चांस बढ़ जाते है।     
     
    3. अगर हम ऑप्शन को Buy करते है तो ध्यान रखे जितना हो सके स्ट्राइक प्राइज के नजदीक के ऑप्शन को ही Buy करना चाहिए।  क्योंकि ऑप्शन इंडेक्स या स्टॉक की कीमत के साथ -साथ बहुत ही जल्दी ऊपर निचे होते है ,इन ऑप्शन की कीमत तो ज्यादा होती है ,लेकिन इनमे प्रॉफिट होने के चांस भी ज्यादा होते है। कोई भी जल्दबाजी न करे 
     
    4.मार्केट के माहौल का ध्यान रखते हुए ही कॉल या पुट का चयन करे ,अगर मार्केट sideway हो तो थोड़ा ऊपर व थोड़ा निचे ट्रेड ना ले। क्योंकि इसमें  loss होने के चांस ज्यादा होते है। कॉल और पुट दोनों के प्राइज कम होते रहते है। 
    5. हम कोई भी ऑप्शन लेते है तो उसमे stop loss जरूर लगाए। वहां पर एक ऑप्शन होता है जिसे sell triger कहते है ,जिसमे हमारे ऑप्शन की कीमत अगर एक दम से गिरने लग जाये तो जो कीमत हम stop loss में सेट करेंगे वहां पर आते ही हमारे ऑप्शन अपने आप बिक जायेंगे और हम ज्यादा loss में नहीं जायेंगे।   
     
    6. stop loss लगाने का एक और फायदा है की मन लो हम 50 रूपये के प्राइज पर पुट Buy करते है ,और 45 रूपये पर stop loss लगते है ,अब अगर ऑप्शन की कीमत बढ़ती है तो हम stop loss  को भी साथ के साथ बढ़ाते जायेंगे। मतलब ऑप्शन की कीमत से हम अपनी इच्छा के अनुसार मार्किट के ट्रेड को देखते हुए 5-10 रूपये इससे पीछे चलेंगे।
     
    इसका फायदा ये होगा की जब तक ऑप्शन की कीमत ऊपर जाएगी हमारा प्रॉफिट बढ़ता जायेगा ,और जब भी मार्किट ब्रेक करेगी ऑप्शन की कीमत निचे आएगी। हमारा stop loss हिट (hit )हो जायेगा और हम प्रॉफिट निकल कर ट्रेड से बाहर हो जायेगे। 

     

    7. अपना माइंडसेट मजबूत रखे ,ज्यादा प्रॉफिट के लालच में loss हो जाता है प्रॉफिट का टारगेट रखे ,loss का टारगेट रखे ,एक ही दिन में ज्यादा ट्रेड न ले। एक ट्रेड Buy और Sell करने में लगभग 50 रूपये ब्रोकरेज लगती है। बाकि हमारे लगाए गए रुपयों के हिसाब से छोटे बड़े टेक्स और भी लगते है। इसलिए जब भी ट्रेडिंग करे ,सोच समझकर करे और अपनी जिम्मेदारी पर करे। 
     

    Short Selling ऑप्शन को पहले SELL करने के LOSS और PROFIT 

    ऑप्शन को पहले SELL करने में यह खास बात होती है की इसमें सही ट्रेड लिए जाये तो प्रॉफिट होने के चांस ज्यादा होते है। लेकिन प्रॉफिट लिमिट में होता है। और Loss होने का चांस कम होते है।  

    लेकिन जब Loss होता है तो अनलिमिटेड हो सकता है। Short Selling में इन्वेस्ट के लिए लगभग 50,000 रूपये से शुरू करे तो ही प्रॉफिट के चांस बनते है इसलिए बहुत कम लोग Short Selling में ट्रेड करते है। लेकिन जो भी इसमें ट्रेड करते है लगभग फिट में ही जाते है। 

    उदाहरण के तौर पर अगर हम बैंक निफ़्टी का 25 ऑप्शन का एक lot 20 रूपये के प्राइज पर sell करते है। जब ऑप्शन की कीमत 0 हो जाती है,तो हम उसे Buy कर लेते है। मतलब 20 x 25 =500 में Sell किया और 0 में Buy किया और हमे 500 रूपये प्रॉफिट हुआ। 

    हम जितने प्राइज पर ऑप्शन sell करते है ,हमे उससे ज्यादा प्रॉफिट नहीं हो सकता है। और अगर ऑप्शन की कीमत 20 रूपये से ऊपर जाएगी तो हमे loss होगा। एक्सपायरी day end पर सभी ऑप्शन अपने आप sell और buy हो जाते है, चाहे वो किसी भी कीमत पर हो। 

    20  रूपये के ऑप्शन की कीमत जितनी ऊपर जाएगी हमे उतना ही loss होगा ,इसलिए हमे 500 रूपये के प्रॉफिट के लिए इन ऑप्शन के लगभग 50,000 + लगाने पड़ते है अगर प्रॉफिट होता है तो हमारा fund हमे प्रॉफिट के साथ मिल जाता है। अगर loss होता है तो हमारे फंड में से loss  कटकर वापिस मिल जाता है।

    इसमें कुछ नियम follow करते है तो 99%  प्रॉफिट के चांस बन सकते है। 

    1. स्ट्राइक प्राइज से दूर का ऑप्शन sell करे जंहा तक मार्किट के क्रॉस करने का चांस ही न हो वो ऑप्शन 100%  out of money हो जायेगा।  
    2. मार्किट के मूड का अंदाजा रखें एक्सपायरी के एक या दो दिन पहले मन लो इंडेक्स 500 point से ज्यादा निचे नहीं गिरेगी या 500 पॉइंट से ज्यादा ऊपर नहीं जाएगी तो हम उससे आगे की स्ट्राइक प्राइज का ऑप्शन sell करते है।  
    3. मार्किट side way है तो call और put दोनों की कीमत निचे गिरेगी और हमे प्रॉफिट होगा। 
    4. अगर हम कम पैसा लगाना चाहते है तो दूर की एक्सपायरी के ऑप्शन sell कर  सकते है।
    5. दूर की एक्सपायरी पर ट्रेड लेते है तो स्ट्राइक प्राइज से भी दूर के ऑप्शन ही sell  करें ,क्योंकि लम्बे टाइम में मार्किट कहीं भी जा सकती है।
    6. facebook ,whatsapp ,telegram ,पर ऑप्शन Buy में प्रॉफिट कर पाने वाले बहुत है ,ट्रेड पूछने वाले भी बहुत है लेकिन जो पहले ही समझदारी से सेल करते है उन्हें कंही जाने की जरूरत नहीं पड़ती। 
    7. हमारी साइट पर ऑप्शन ट्रेडिंग की सभी पोस्ट ध्यान  से पड़े ,अपनी जिम्मेदारी पर ट्रेड करे ,हमारा लेख अगर आपको पसंद आये तो आप हमारी साइट का link जरूर शेयर करे।  

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