Great Leader President Of Russia: जो झुक सकता है वह सारी दुनिया को झुकाने की ताकत रखता है।जो झुक सकता है वह कभी टूट नहीं सकता। माफी मांगने वाला कभी छोटा नहीं होता बल्कि वह देश और दुनियां ही नहीं दिलों पर राज करता है। ये शब्द विश्व के महान व्यक्तियों द्वारा अपने संदेश में कई बार दिए गए हैं।
Great Leader President Of Russia
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अपनी महानता का परिचय देते हुए अपनी सरकार की गलतियां मानी है और रूस की जनता से माफी मांगी है। रूस और यूक्रेन के मध्य हुए युद्ध के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कई संकटों से घिर गए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को राजधानी मॉस्को में सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया, और इस दौरान उन्होंने देश में बढ़ती महंगाई के कारण अपने देश की जनता से माफी मांगी है।
दरअसल, एक कनेक्शन आंसर सेशन के दौरान उन्होंने देश में बढ़ती महंगाई और अंडे की ऊंची कीमतों के लिए अपनी की ही सरकार को जिम्मेदार माना और इसके लिए उन्होंने अपनी जनता से माफी मांगी। व्लादिमीर पुतिन ने कहा, मैं अपनी सरकार की विफलता के लिए आप सबसे माफी मांगता हूं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रूस में बढ़ी महंगाई
रूस यूक्रेन के मध्य चल रहे युद्ध के कारण रूस में महंगाई बढ़ती जा रही है, इस बढ़ती महंगाई को लेकर रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी जनता से माफी मांगी है। यूक्रेन से जारी जंग के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को अपने सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि जब तक हमारे लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते हैं तब तक यूक्रेन में शांति नहीं आने वाली है। उन्होंने वर्ष के अंत में अपने पारंपरिक प्रेसवार्ता में संकल्प लिया कि यह उद्देश्य परिवर्तन रहेंगे जो एक नेता को सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
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रूस में 1 साल में ही बहुत मूल्य वृद्धि हुई है। ऐसा बताया जाता है कि अंडों की कीमत में 40% का उछाल आया है। व्लादिमीर पुतिन साल के आखिरी में मीडिया से बात करते हैं इसी बातचीत के दौरान एक बुजुर्ग महिला इरीना अकोपोवा ने अंडे और चिकन की बढ़ती कीमतों को लेकर सवाल किया था। आपको बता दे कि यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसका असर भी साफ दिखाई दे रहा है। रूस में महंगाई तेजी से बढ़ी है।
भारत का सदा बहार मित्र है रूस
एक समय था जब लगभग आधी दुनिया के देश भारत के खिलाफ थे ,तब अमेरिका सहित दुनिया के कई देश पाकिस्तान के साथ खड़े थे। अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए जापान के करीब अपनी नौसेना को बंगाल की खाड़ी की तरफ भेज दिया।
अमेरिका की सेना जब भारत की तरफ बढ़ रही थी तब भारत ने रूस से मदद मांगी रूस ने भारत की मदद के लिए अपनी परमाणु छमता से लैस पनडुब्बियों और जहाजों को प्रशांत महासागर से हिन्द महासागर की और भेज दिया रूस की सेना को देख अमेरिका ने अपनी नौसेना को वापिस बुला लिया और बाकि देश भी पीछे हट गए उस समय रूस ने अपनी मित्रता निभाई ,इस तरह रूस अकेला ही भारत की सहायता के लिए आधी दुनिया से लड़ने को तैयार हो गया था। रुस हर परिस्थिति में, हर मोर्चे पर, हर मुद्दे पर हमेशा से भारत के साथ खड़ा रहा है।
पुतिन ने बनाया रूस को शक्तिशाली
जब व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने थे उस समय रूस की हालत बहुत अच्छी नहीं थी ,लेकिन पुतिन के आने बाद रूस ने बहुत तरक्की की है, और आज दुनिया में रूस बहुत ताकतवर देश बन गया है।रूस और भारत की मित्रता को देखते हुए दुनिया के बड़े लीडर भी रूस या भारत के खिलाफ बोलने से पहले हजार बार सोचते है। भारत और रूस के बीच 20 साल की सहयोग संधि पर 9 अगस्त, 1971 को हस्ताक्षर किए गए थे। इस संधि में सप्रभुता के प्रति सम्मान, एक दूसरे के हितों का ध्यान रखना, अच्छा पड़ोसी बनना और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व कायम करना शामिल है।
दोनों देशों के बीच रक्षा, तेल, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। आजादी के ठीक बाद रूस ने भारत के इंडस्ट्रियलाइजेशन में बड़ी भूमिका निभाई, सस्ते ब्याज पर आर्थिक मदद की।
व्लादिमीर पुतिन के बारे में
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर, 1952 को सोवियत संघ के लेनीनग्रांड में हुआ था, जिसे सेंट पीटर्सबर्ग कहा जाता है। पुतिन 1999 में पहली बार रूस के राष्ट्रपति बने थे। 2018 में व्लादिमीर पुतिन चौथी बार राष्ट्रपति बन चुके हैं।
- पुतिन के दादा स्पिरिडोन पुतिन सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के पर्सनल कुक थे। पुतिन पिता सोवियत नेवी में और उनकी माता फैक्ट्री में काम किया करती थी।
- सितंबर 1960 से पुतिन ने अपने घर के पास के ही एक स्कूल से पढ़ाई शुरू की थी। उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की।
- 1975 में पुतिन ने सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB को ज्वाइन किया था। 1980 के लगभग उन्हे जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर तैनात किया गया। यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी।
- लगभग 16 साल तक जासूस का काम करने के बाद व्लादिमीर पुतिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए।