ARTICLE 370: धारा 370 पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला -

ARTICLE 370: धारा 370 पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

article 370: केंद्र सरकार के 5 अगस्त 2019 को लिए गए आर्टिकल 370 को हटाने के बड़े फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी लेकिन मोदी सरकार के इस फैसले पर आप सुप्रीम कोर्ट की मोहर लग गई है।

आज सोमवार 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए माना है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रावधान था सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान सभा की सिफारिश राष्ट्रपति पर बाध्य नहीं है आर्टिकल 370 का अस्तित्व समाप्त होने की सूचना जारी करने के राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है।

जम्मू कश्मीर में कड़ी सुरक्षा

5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाने का एक महत्वपूर्ण फैसला लिया था लेकिन इस फैसले के खिलाफ जम्मू कश्मीर के कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सीजे आई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई के बाद 16 दिन तक फैसला सुरक्षित रखा और आज धारा 370 को हटाने का केंद्र सरकार का फैसला सही बताया सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को देखते हुए जम्मू और कश्मीर में कड़ी सुरक्षा की गई है।

article 370: क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट का कहना है राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक संवैधानिक तौर पर सही था संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर पर लागू होते हैं यह फैसला जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था। आर्टिकल 370 को हटाकर नई व्यवस्था से जम्मू कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। आर्टिकल 370 हटाने में कोई दुर्भावना नहीं थी सेना का काम दुश्मनों से देश की रक्षा करना है न कि उनकी तैनाती राज्य में की जाए । पिछले कई सालों से जम्मू कश्मीर मुश्किल दौर से गुजरा है इसलिए आर्टिकल 370 हटाना एक सही फैसला था। 

आर्टिकल 370 एक अस्थाई प्रावधान था जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है जम्मू कश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि लद्दाख को अलग करने का फैसला वेध था जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव के लिए कदम उठाए जाएं और 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाने का आदेश दिया है।

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article 370 क्या है

भारत के संविधान में 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को जगह दी गई इस कानून ने जम्मू कश्मीर राज्य को भारतीय संविधान से अलग रखने का काम किया इसके तहत राज्य को अधिकार मिले कि वह अपना खुद का संविधान तैयार कर पाए अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था।

 dhara 370

धारा 370 के नियमों के अनुसार संसद को जम्मू कश्मीर के बारे में रक्षा विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की मंजुरी चाहिए। यह कानून राज्य को उच्च स्तर की स्वायत्तता देता है जिससे उसे अपना संविधान और राष्ट्रीय ध्वज रखने की अनुमति मिलती है। इस कानून के तहत जम्मू कश्मीर के अंदर भारत के राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करना अपराधी नहीं माना जाता था।

भारत के सुप्रीम कोर्ट के आदेश जम्मू कश्मीर के अंदर मान्य नहीं होते थे भारत की संसद को जम्मू कश्मीर के संबंध में सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती थी अगर जम्मू कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाती थी और यदि वह पाकिस्तान का किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस व्यक्ति को भी जम्मू कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी।

धारा 35 A क्या है

धारा 35 A धारा 370 का विस्तार है राज्य के स्थानीय निवासियों को परिभाषित करने के लिए जम्मू कश्मीर राज्य की विधायिका को शक्ति प्रदान करता है और उन स्थाई निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करता है तथा जम्मू कश्मीर में अन्य राज्यों के निवासियों को कार्य करने या संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं देता है। इस कानून के अनुसार 1956 से पहले जो कश्मीर में बस गए थे उन्हीं को स्थाई निवासी माना जाता था। इस धारा का उद्देश्य जम्मू कश्मीर की जनसंख्याकीय संरचना की रक्षा करना था।

क्यों बना Article 370 (dhara 370)

26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर के आखिरी शासक महाराजा हरि सिंह ने भारत में शामिल होने के लिए कई शर्ते रखी जो इस कानून में शामिल है फि विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे संसद की ओर से वह तीन विषयों पर शासन किए जाने पर सहमत हुए थे और संघ की शक्तियों को विदेशी मामलों रक्षा और संचार तक सीमित कर दिया। उस समय आधे कश्मीर पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था आधे लोग उधर फंसे हुए थे और आधे इधर वहां की स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षा अलग थी ऐसे में वहां के लिए फिलहाल नए कानून की जरूरत होगी उन्होंने कहा अभी जम्मू और कश्मीर में पूरा संविधान लागू करना संभव नहीं है

अतः अस्थाई तौर पर उसके लिए 370 लागू करना होगा और कहा जब वहां हालात सामान्य हो जाएंगे तब इस धारा को भी हटा दिया जाएगा। इसे एक टेंपरेरी कानून बनाया गया और लिखा गया कि भारत का राष्ट्रपति जब भी उचित समझे उन्हे लगे की समस्याओं का हल हो गया है और जनजीवन सामान्य हो गया है तो वह उस धारा को हटा सकते है।

धारा 370 भारत की संसद लेकर आई थी और इस कानून को बाद में हटाने का प्रावधान भी रखा गया था इस धारा को जम्मू और कश्मीर की विधानसभा या वहां का राजा नहीं लेकर आया था यह धारा इसलिए लाई गई थी क्योंकि तब वहां युद्ध जैसे हालात थे और इधर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की जनता इधर पलायन करके आ रही थी ऐसे में वहां भारत के संपूर्ण संविधान को लागू करना उचित नहीं समझा गया

जब राज्य की जनता का जनजीवन सामान्य हो जाएगा तो बाद में धीरे-धीरे वहां भारत के संविधान के अन्य कानून लागू कर दिए जाएंगे इस प्रक्रिया में सबसे पहले 1952 में नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच एक एग्रीमेंट हुआ जिसे दिल्ली एग्रीमेंट कहा गया है।

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