Rajasthan CM: 12 दिसंबर को राजस्थान में हुई विधायक दल की बैठक में भजनलाल शर्मा के नाम पर मोहर लगा दी गई। और उन्हें राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुन लिया गया। वह पहली बार जयपुर की सांगानेर विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने हैं। भाजपा के संगठन में अहम किरदार निभा रहे भजनलाल शर्मा तीन बार बीजेपी राजस्थान के महामंत्री रह चुके हैं।
Rajasthan CM:
3 दिसंबर को चार राज्यों के चुनाव के रिजल्ट आए थे जिनमें तीन राज्यों में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की इनमें से एक राजस्थान जिसमें बीजेपी ने 115 सीटें जीतकर बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया। लेकिन इसके साथ ही एक नया सस्पेंस बन गया कि राजस्थान का मुख्यमंत्री अबकी बार कौन बनेगा।
वसुंधरा राजे हुई एक्टिव
चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद सबसे बड़ा घटनाक्रम वसुंधरा राजे का दिल्ली जाना था हालांकि, अगले दिन खबरें सामने आई कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर कर रही है। यह अनुमान लगाए जा रहे थे कि वह आलाकमान को यह संदेश देने गई है कि वह सीएम पद की सबसे मजबूत दावेदार है, और भी कई दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में चल रहे थे बाबा बालक नाथ ,अर्जुन राम मेघवाल, दिया कुमारी ,गजेंद्र सिंह शेखावत ऐसे कई चेहरे थे जिनका अंदाजा लगाया जा रहा था कि बीजेपी इनमें से किसी को भी मुख्यमंत्री का पद दे सकती है।
भजनलाल शर्मा के नाम ने कर दिया हैरान
लेकिन कल राजस्थान में विधायक दल की बैठक में एक ऐसे नाम पर मोहर लगा दी गई जिसका किसी को अंदाजा भी नहीं था। भजन लाल शर्मा जिन्हें कल मुख्यमंत्री के तौर पर चुना गया है यह नाम ना किसके खयाल में था ना किसी तरह के क्यास लगाए जा रहे थे भाजपा के बड़े नेताओं के चेहरों पर हैरानियत थी खासकर जिन्हें लगा रहा था वह तो इस बार बन ही जाएंगे उन्हें मुख्यमंत्री बनने वाले भजनलाल के इस नाम ने सबको हैरान कर दिया।
पहले तर्क दिया गया कि अब तक उत्तर भारत में भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री ब्राह्मण नहीं है इस बात पर मुख्यमंत्री पद के कई दावेदारों के बहुत करीबी भी हंसने लगे लेकिन सुबह होते-होते भजनलाल शर्मा का नाम सोशल मीडिया पर छाने लगा जिस पर शायद ही किसी को एक बार तो भरोसा नहीं हुआ
मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में कई दिग्गज नेता थे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ,केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिया कुमारी, अर्जुन मेघवाल, ओम बिरला, बाबा बालक नाथ इन सब नामों को नजर अंदाज करना बहुत मुश्किल था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने भजन लाल शर्मा को सीएम का पद देकर एक बड़ा संदेश दिया है।
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बीजेपी को चाहिए था पार्टी और जनता की सुनने वाला CM
पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मध्य नजर ये फैसला लिया है उनका कहना है कि इससे पहले सत्ता का सुरूर ऐसा था कि वह उतरने का नाम ही नहीं लेता था उनके आसपास भी पदों की ऐसी खुमारी थी कि पार्टी संगठन के अच्छे-अच्छे लोग बात करने या अपनी बात कहने तक को तरस जाते थे।
एक कार्यकर्ता ने बताया कि एक बार राष्ट्रीय संघ से जुड़े एक पार्टी नेता को मुख्यमंत्री से मिलना था और वह बहुत कोशिशे करने के बाद भी उनसे नहीं मिल पाए पार्टी के एक पुराने नेता बताते हैं कि उन्हें कभी फुर्सत ही नहीं मिली कि वह हमसे बातचीत कर सकें ऐसे में कई बार भाजपा विधायकों के साथ भी उनके टकराव हुए थे।
साल 2008 में जब बीजेपी हारी तो राज्य की जिम्मेदारी लेते हुए राज्य के महामंत्री प्रकाश चंद्र ने और अध्यक्ष ओम माथुर ने कुछ दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया लेकिन वसुंधरा राजे ने प्रतिपक्ष के पद को लंबे समय तक नहीं छोड़ा और उन्होंने केंद्रीय हाई कमान से भी कोई बात नहीं की
साल 2017 में आलाकमान ने गजेंद्र सिंह शेखावत को भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहा तो उस समय भी वसुंधरा राजे केंद्रीय नेताओं पर भारी पड़ी पार्टी के कुछ नेता बताते हैं की आलाकमान ने तभी सोच लिया था कि उन्हें राजस्थान में भाजपा की सरकार तो बनानी है लेकिन उनका नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथ में हो जो आम कार्यकर्ताओं से मिल सके उनसे बात कर सके और शीर्ष पर बैठे अपने नेता को अपनी समस्याओं के बारे में अवगत करा सके।
इस बार जो विधायक घमंड में चूर रहते थे लोगों के बीच जाना ही उचित नहीं समझते थे उन्हें भी टिकट नहीं दिए गए।
एक पर्ची से हुआ फैसला
अशोक गहलोत के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद भाजपा विधायक भजनलाल शर्मा संभालेंगे। राजस्थान में भर्ती परीक्षा में 17 पेपर लीक हुए वहां गहलोत सरकार की विदाई के बाद मुख्यमंत्री पद का फैसला एक पर्ची से हो गया पर्ची में क्या लिखा था इस पर आखिरी वक्त तक सस्पेंस बना रहा इसे ना कोई लीक कर पाया ना ही लीक करवा पाया पर्ची लेने वाली वसुंधरा राजे थी और पर्ची में नाम था भजनलाल शर्मा का पहली बार विधायक चुनकर आए भजन लाल शर्मा जी को राजस्थान का मुख्यमंत्री चुना गया है
भजनलाल शर्मा ही क्यों
भजनलाल ब्राह्मण जाति से हैं राजस्थान में 1990 में हरिदेव जोशी आखिरी ब्राह्मण सीएम थे राजस्थान में बीजेपी ने 35 साल बाद फिर से एक ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया है उत्तर भारत में अभी राजस्थान पहला राज्य है जहां ब्राह्मण मुख्यमंत्री होगा ऐसे में एक झटके में ब्राह्मण को ही सीएम बना कर या धारना तोड़ दी गई कि डिप्टी सीएम पद से ही ब्राह्मणों को संतोष करना होगा ब्राह्मण वोट का हिसाब देखें उत्तर भारत की बात करें तो राजस्थान में 8 फ़ीसदी ब्राह्मण है यूपी में 10 से 12 फीसदी ब्राह्मण वोट बताए जाते हैं हिमाचल प्रदेश में 18 फीसदी हैं मध्य प्रदेश में 6 बिहार में 4 फीसदी हैं
जिम्मेदार और सर्वप्रिय सीएम
राजस्थान के चुनाव से पहले भी मंच की जिम्मेदारी भजनलाल ही संभालते थे कोई भी अध्यक्ष हो,मंच वही संभालते थे राज्य में नेताओं को बुलाते वही थे कोरोना में कांग्रेस की पोल खोली थी तब से भजनलाल लाइमलाइट में थे अमित शाह की खास पसंद है और विधायक पसंद चाहे किसी को भी करते हो लेकिन नाराजगी भजन लाल शर्मा से भी किसी की नहीं है।
राजस्थान में बीजेपी को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो नया सोचता हो नए तरीके से काम करता हो बीजेपी ने नई टीम बनाकर जातिगत समीकरण साधा है ब्राह्मण वोट करते आ रहे थे लेकिन कोई सीएम ब्राह्मण नहीं था ब्राह्मण राजस्थान में निर्विवाद होते हैं दूसरी जाति में विरोध नहीं होता साथ में बेरवा और दिया कुमारी का ऐसा समीकरण आया जहां दूसरा दांव चला गया दलित को उपमुख्यमंत्री राजपूत को उपमुख्यमंत्री दलित को इसलिए क्योंकि वह कांग्रेस को वोट देते आ रहे हैं भाजपा अपने पक्ष में लाना चाहती है।
CM पर फैसला था फिक्स
राजस्थान भाजपा के नेताओं का मानना है कि भजन लाल शर्मा को चुनाव लड़ाने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया था क्योंकि सांगानेर की जो विधानसभा सीट से उन्हें चुनाव लड़वाया गया वह पारंपरिक तौर पर भाजपा की पक्की सीट रही है वहां से बीजेपी के विधायक लगातार जीतते रहे है भजनलाल शर्मा को एक बेहद सुरक्षित सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया था
भजन लाल शर्मा 4 बार संगठन के मंत्री रह चुके हैं वह राज्य में पार्टी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका अदा कर चुके हैं केंद्र सरकार ने शायद उन्हें इसी काम का इनाम दिया है राज्य चलाने की जिम्मेदारी देकर भाजपा ने यह भी साफ कर दिया कि वह राजस्थान और पड़ोसी राज्यों में संगठन की भूमिका बढ़ाना चाहती है विभिन्न राजनीतिक दल लगातार सनातन और ब्राह्मणों पर जाति को लेकर अपनी राजनीति मजबूत कर रहे थे
ब्राह्मण वोटरों का सम्मान
राजस्थान में भी कुछ नेताओं ने इस समुदाय पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जबकि ब्राह्मण भाजपा का कट्टर समर्थक साबित हुआ है और हर मौके पर वह भाजपा के साथ अटूट होकर खड़ा रहा है ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी जी ने ब्राह्मणों को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में उपमुख्यमंत्री बनाकर राजस्थान में मुख्यमंत्री का पद देकर उन्हें सम्मानित करने का काम किया है पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है
चुनाव से पहले 19 मार्च को एक ब्राह्मण महापंचायत हुई थी जिसमें भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के अलावा केंद्रीय मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था इस महापंचायत में ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने निराशा व्यक्त की थी कि राज्य में उनकी जनसंख्या 85 लाख से अधिक है इसके बावजूद किसी भी राजनीतिक दल ने उन्हें उचित प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया इसलिए राजस्थान की बागडोर भजनलाल को देखकर भाजपा ने ब्राह्मणों को खुश कर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नया संदेश दिया है
भजनलाल शर्मा हर एंगल में है फिट
राजस्थान में अगर किसी राजपूत को सीएम पद के लिए चुना जाता तो पार्टी को लगता है राजस्थान में जाट नाराज हो सकते थे, ब्राह्मण राजस्थान में निर्विवाद है वहीँ भजनलाल शर्मा किसी भी गुट में शामिल नहीं है, लिहाजा उनके नाम पर किसी को भी आपत्ति की गुंजाइश नहीं है। इसके अलावा पार्टी ने एक साधारण कार्यकर्ता को सीएम पद पर बैठाकर सभी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया है।
अब तक राजस्थान के सीएम के तौर पर जो भी नाम सामने आ रहे थे उन सभी का किसी ने किसी रूप से वसुंधरा राजे से जुड़ाव सामने आता रहा है पार्टी को ऐसे चेहरे की तलाश थी जो कुछ नया सोच सके भजन लाल शर्मा की छवि निर्विवाद पदाधिकारी की है जो हर समय हर परिस्थिति में पार्टी के लिए मोर्चे पर डटा रहा है भजनलाल शर्मा हमेशा से ही पार्टी के और संघ की पसंद बने रहे हैं।
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